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मुझे याद है तेरा मुस्कराना
न भूली जाने चीजें ही याद बनती हैं और इन यादों को कोई मिटा भी नहीं सकता है। कलमकार हेम पाठक लिखते हैं कि किसी का मुस्कुराना भी लोगों को याद आता है। मुझे याद है तेरा मुस्करानालहरा के चलनाबल खा के सँभलनाभरी-भरी राहों में बच-बच के निकलना मुझको लुभाकरदिल को सतानालगाकर के आग फिर…