बेबसी
भस्म कर दूं स्वयं कोअंगारों को पाल रखूँ सीने में। देश जिनके कर्मों पर खड़ा हैसड़कों पर आज बेबस लाचार रह गया है। मर रहे हैं सड़कों पर इसे कफ़न नसीब कर दोजिंदा ना सही, लाशों को उसके घर वालों…
वो ईफ्तार और शेहरीवो धूप और दुपहरीसब भूल गये मदद को निकल पडे़अम्मी की बनाई रोटीयाआचार और पानीदेख उसे भूखे को होती है परेशानी अल्लाह ने दिया नही ज्यादा उसेकैसे वो करे किसी पर मेहरबानीजो रूखी सूखी मिलीहर भूखे की…
हाँ! मैं मजदूर हूँकड़ी मेहनत करता हूँपसीना बहाता हूँधूप, वर्षा,शीत से लड़ता हूँ हाँ! मैं मजदूर हूँमजदूरी करना मेरा काम हैमेहनत से रोटी खानामेरा धर्म हैराष्ट्र निर्माण में योगदान देता हूँहाँ! मैं मजदूर हूँ कठिन से कठिन कार्यको सरल बना…
चारों ओर से सवालों का बौछार था,अपने ही व्यवस्था से बीमार था,लेकिन रेल की पटरी से उठ खड़ा जवाब तैयार था,मैं मजदूर था साहब!अपने ही घर की छतों से दूर था,बस रोटी के लिए मजबूर था। परिस्थितियों का मारा था,पर…
सोचा नही था कभी ऐसा दिन भी आयेगा,जेल छोड़ घर ही कैदखाना बन जायेगा।मजदूरी करके जब शाम को लौटकर आता थाअपने दोस्तों के साथ चाय पीने जाता थादिनभर के थकान उस पल में भूल जाता थाएक दूसरे के दर्दो का…
औरंगाबाद ट्रेन हादसे में मारे गए सभी मज़दूर भाइयों को भावभीनी श्रद्धांजलि.... गाँव मे नहीं था रोजगार का कोई भी साधन,चला गया था दूर शहर मैं लेकर अपने प्रियजन।दिन भर मजदूरी करता था पैसे चार कमाता था,हर शाम थक हार…
इस सुनसान सड़क में एक कोना हैं चादर से लिपटा हैं कुछ घर सा दिखता हैं इस लॉकडाउन में भी पूरा खुला हैं बिना दिवार का वो महल सा लगता हैं कुछ आवाज़े आती हैं कुछ सिसकियाँ उस कोने में…
रोटी भी ये क्या क्या नहीं करवाती है, कभी सड़क कभी पटरी पर ले जाती है। जीते जी ना मिल सकीं वो सुविधाएं, अब ये मृत देह हवाई जहाज से आती है। एक कटोरी दाल तक न मिल पायी, अब…
हाय! कैसी है ये, मजबूरी मजदूरों की। अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए चले जाते है,परिवार से दूर ताकी कही मजदूरी कर, पाल सके, परिवारों का पेट। हाय! कैसी है? ये पेट की आग। जो मजदूरों को कर देती,अपनों…
लाकडाउन मे जो लोग विभ्भिन परिस्थितियो में मारे गये लोगों को यह कविता समर्पित। ईश्वर उनकि आत्मा को शांति प्रदान करे। अन्धेरा छट जायेगा, सूरज जब उग आयेगा! दिपक भी जल जायेगा, उस मॉ को कौन समझायेगा? जिसका लाल अब…
सोलह मजदूरों को ट्रेन से रौंद दिया जाना और उनका अपने घर ना पहुंच पाना, बहुत दर्दनाक व वीभत्स घटना है। जो भी देखा सुना, जाना, सबके रूह कांप गए। रात भर एक भयावह सपने की तरह सभी को परेशान…
ये मौसम कोरोना का हमें बहुत सीखा गया। पूरे परिवार को एक साथ बैठना सीखा गया रामायण और महाभारत के संस्कार सीखा गया। स्वच्छ्ता के वो प्राचीन मापदंड याद दिला गया। बर्गर पिज्जा और चाउमीन से दूरी सीखा गया। प्रदुषण…
बड़ी खुद्दारी के साथ वो अपनी नन्ही सी बच्ची को कंधे पे बिठाये अपने गॉव के तरफ निकल पडा है। शहर से गॉव कि दूरी लगभग हजारो किलोमिटर होगी फिर भी वह चले जा रहा है । उसके पॉव के…
पटरियों पे रक्तरंजित रोटियाँ, रोटियों संग पड़ी थीं बोटियाँ। थक गये क़दम मुसाफ़िरों के, झपकियाँ पटरियों पे सुला गईं। मुफ़लिसी फिर तितर-बितर हुई, घर पहुँचने की आरज़ू कुचल गई। चीत्कार चौखटें कई करने लगीं। दर्द के दामन में वीरानियां सोने…
श्रम साधक को विश्राम नहीं कर्म से नहीं फुर्सत ,आराम नहीं मेहनत उसका कार्य ,करता उसे हराम नहीं चलता ही जाए ,लेता कभी विराम नहीं कर्म ही उसकी सच्ची पहचान ईश्वर का इक अनमोल वरदान राष्ट्र का सदा बढाता मान…
श्रमिक! न घबराये, श्रम से मेहनत करता है दम-खम से। फिर! चूल्हा कल जलेगा घर पर चिन्ता उसको यही सताये। श्रमिक! श्रम की गर्मी से पिघला लोहा आकार है देता। खेतों में, कारखानों में खून जलाता पसीना बहाता। सुस्ता ले…
वो तुम्हें हर जगह दिख जाएगा ग़ौर से देखोगे तो भगवान नज़र आएगा कहीं खेतों में घूप की चादर ओढ़े हुए तो कहीं सड़को के सन्नाटे में लेटे हुए कहीं अन्न उगाते हुए तो कहीं इमारतें बनाते हुए वो तुम्हें…
दुनिया के सामने तस्वीर हमारी सब के जुबा पे नाम हमारी फिर भी ना कोई पहचान हमारी क्योंकि मैं मजदूर हूं दुनिया हो गई एक साथ आज सबके आगे फैला हाथ ऐसी हो गई दशा हमारी क्योंकि मैं मज़दूर हूं…
व्यथीथ हो चला था हृदय में अपने अनंत पीड़ा लेकर वह अपने घर को चला था क्या करता इस बड़े से शहर में शहर के व्यवहार से, वह कुपित हो चला था ऐसा नहीं था कि नहीं थे अच्छे लोग,…
कामयाबी का राज मेहनत है यह खुदा की बख़्शी हुई नेमत है करें श्रम जब तक जीवन है यही जीवन का मूल मंत्र है आज का काम कल पर मत छोड़ो श्रम ही सफलता का लक्षण है हर पल महत्वपूर्ण…