समय का जादू

जादू की छड़ी जब वक्त कीघूमती है, तोसब कुछ ऐसे पलट जाता है,जैसे-कदम हैं रुके सेऔर धरती चल रही है,आसमां है झुका साऔर हम उठ रहे हैं,सूरज है शीतल साऔर चांद तप रहा है,पशु-पक्षी हैं उन्मुक्त सेऔर हम कैद हो…

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सलाम कोरोना वॉरियर्स

महामारी का दौर है सब घर में ही करो विश्राम,बाहर घूम रहा है कोरोना, है बाहर जाना हराम,मंदिर मस्जिद गिरजा गुरुद्वारा सब ताले में बंदघर में बैठकर ही भजो, सभी अपने अपने राम।नर सेवा में लगे हुए वो नरवीर संभाल…

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मजबूर हो गए करने को पलायन

मन में पीड़ा इतनी है, जितना बड़ा है रत्नाकर।यह सोच कर निकल पड़े, सुकून मिलेगा घर जाकर। कितनी दूर पैदल चलेंगे, वो हैं निरेहाल।चेहरे से स्मित है गायब, हालात है खस्ताहाल। एक बीमारी ऐसी आई मानो वह है डायन।श्रम साधक…

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कोरोना के योद्धाओं को प्रणाम करता हूँ

कोरोना के योद्धाओं को, मैं प्रणाम करता हूँ। लड़ रहा विश्व, आज जिस त्रासदी से , आगे आएं, इन मनुज अवतारों की, भूमिका को सलाम करता हूँ। कोरोना के योद्धाओं को, मैं प्रणाम करता हूँ। उन डॉक्टरों, पुलिस अधिकारियों, सफाई…

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दीवारें नफरतों की गिरा दीजिए

दीवारें नफरतों की गिरा दीजिए, किसी रोते हुए को हसा दीजिए। जीना ना हो जाये दूभर कहीं, जख्मों को ना इतनी हवा दीजिए। मुसीबत में मदद का हाथ बढाकर, उनके दुखों को थोड़ा गला दीजिए। वह अभागा रातभर सोया नहीं,…

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आदमी तन्हा है

इस दूनिया की भीड़ में आज आदमी तन्हा है । जो प्रकाश दे जग में वो सूरज आज तन्हा हैं। जो खेतों में धान निकाले वो अन्नदाता आज तन्हा हैं। जो औरों के दर्द दूर करे वो भगवान आज तन्हा…

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कुछ वक़्त अब

कुछ वक़्त अब तो ठहर घर में आख़िर क्या है, जान से बढ़कर और इस दुनिया में रखा क्या है, जिन बन्द पेटियों में तुम शराब लाते थे, हां वही है जो अब उनमें लाश आ रहे हैं, महज़ खेल…

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मुस्कराते चेहरे आज उदास हैं

  हँसते मुस्कराते रहे चेहरे, आज वो बिल्कुल उदास हैं। रात में मुश्किल से जो रुकते, चारों पहर ही पास हैं।। अचानक आई आपदा से निपटना हो रहा कठिन। शुक्र है परवरदिगार का, हमारी चल रही सांस है।। माथे पर…

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जनता कर्फ्यू

जिंदगी जीने के लिए संगत का असर देखा संक्रमण का उन्माद देखा जो उनसे दूर रहा जिंदगी को ज्यादा जिया जिंदगी कोई खेल नहीं जिसे संक्रमण की आग में झोंक दिया जाए घर पर रहे परिवार का साथ जो परिवार…

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कोरोना की जंग

अखिल विश्व में आतंक तुम्हारा कोरोना।क्या खूब फैलते जल्दी जल्दी कोरोना।। अति सूक्ष्म होकर भी करते काम बढ़े।जो भी सुनता हो जाते हैं कान खड़े।। जिस घर जाकर तुम भय फैलाते।सर्दी खाँसी बुखार उनमें दिख जाते।। बार बार हाथ धुलाई…

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महाभारत जारी है

महाभारत अब भी, जारी है कोरोना के, महामारी से घर में रहोगे, सुरक्षित रहोगे बाहर निकले यदि, कोरोना का कहर, ढोओगे। लक्ष्मन रेखा को, पार ना करना अगर इससे निज्जात है, पाना है भारत को, यदि बचाना वैश्विक महामारी से…

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माँ! आँचल में छुपा ले

माँ तुम मुझे अपनी आँचल में छुपा ले इस कोरोना महामारी से बचा ले माँ तुम मुझे अपनी आँचल में छुपा ले फैल गई कोरोना महामारी पूरी दुनिया में तेजी से अब देश सुरक्षित न रहा इस महामारी से फैल…

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घर

सुबह हुई तो निकले घर से, शाम हुई तो लौटे घर, घर में रहकर घरवालों को भूल गया, ब्यस्त हुए सब, मस्त हुए सब, घर को, गैराजों में बदल दिया, बेड़ रोए, टीवी रोए, रोए घर का हर कोना, पूछ…

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आई है अपनी बैसाखी

चलो मनाएँ कृषि पर्व को बैशाखी है सबकी साथी। कृषियों के दिल की है चाभी आई है अपनी बैसाखी।। खेतों में फ़सलें आ जाती आती है अपनी बैशाखी। बच्चे बूढ़े खुश हो कहते आई है अपनी बैशाखी।। खड़ी फसल को…

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आज क्या खास लिखूं

समझ नही आ रहा मुझे आज क्या खास लिखूं। कुछ अलग लिखूं आज या रोज की तरह बकवास लिखूं। ये कोरोना के मौत का कहर लिखूं या चाइना द्वारा फैलाया जहर लिखूं। सेनेटाइजर से लोगों का प्यार लिखूं या मास्क…

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याद करेगा हिंदुस्तान

कोरोना का ये अभियान रखना है देश का ध्यान याद करेगा हिंदुस्तान। घर में रहना हमारी शान यही हमारा है बलिदान याद करेगा हिंदुस्तान। बच्चों बुजुर्गों का रखना मान पूरा रखना हमे इनका ध्यान याद करेगा हिंदुस्तान। कितनों ने झोंकी…

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लॉकडाउन को निभाया है

लॉकडाउन को हमने कुछ इस तरह निभाया है ट्रेन की रफ्तार सी भाग रही थी ज़िन्दगी वक़्त ने उस पर पहरा बिठाया हैं अब वक्त हमने आत्मचिंतन के लिए पाया हैं सुबह उगते हुए सूरज के सामने अपना शीश झुकाया…

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खालीपन

ट्रैफिक की जाम कभी करती थी परेशान लोगों की चिल्लाहट भरी भीड़ कानो को जाती थी चीर! आज ये सड़कें 'सहमी-सुनसान' कह रही मानो.. लगा दो मुझपर फिर वही 'जाम'। अब नहीं चिल्लाहट कोई, ना मुहल्ले में गरमाहट कोई.. गलिया…

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अर्धरात्रि के समय

भौंकते श्वानों की हृदय विदारक आवाज़ सुनकर व बेबस जानवरो सहित भूख से ठोंकरे खाते बहुत सारे बेसहारों को देखकर मन सुन्न सा पड़ गया है अभी तक अनजान था मै इस बात से कि इनका पेट कैसे भरता होगा?…

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बंद है भ्रमण

कुंडलिया छन्द के माध्यम से कवि कमल भारद्वाज एक व्यंग से लॉकडाउन को संबोधित कर रहें हैं। मियाँ घर पै डाल रहे, बैठे मिरच अचार।बीबी का भी बंद है, भ्रमण और संचार।भ्रमण और संचार, बंद सब कानाफूसी।घर में दोनों बंद,…

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