Tag: तालाबंदी

  • गृहिणी तो गृहिणी है

    गृहिणी तो गृहिणी है

    लॉकडाउन हुआ देखो देश में, सब को हुआ है अवकाश। गृहिणी को छुट्टी आज भी नहीं, वो कितनी होगी बदहवास।। वो खुश तो दिख रही है बहुत, सभी अपने जो है उसके पास। मन में कौन झाँके उसके, कौन बनाए जीवन को खास।। खा–पी कर सब बैठ जाते, पकड़ कर हाथों में अपने फोन। वो…

  • माँ का संदेश

    माँ का संदेश

    भले चांहे सारा दिन सो कर बिताना भले चांहे खाना दिन मे एक बार खाना भले चांहे दिन चार भूखे विताना किसी भी तरह से समय को विताना मगर मेरे बेटे बाहर न जाना बाहर है भयानक वायरस कोरोना सारी दुनिया रो रही है कोरोना-कोरोना हजारो को पड़ा है प्राणों से धोना किसी तरह से…

  • जीवन संभालो यारों

    जीवन संभालो यारों

    हालात देश की गंभीर है अब तो संभल जाओ यारो हैं पल तो कठिन बहुत अब तो रुक जाओ यारो। जूझ रहा है हर इंसान जिंदगी अपनी संवारों जीवन बहुत ही अमूल्य है अब कीमत समझो यारों। राग द्वेष जात पात भूल पीड़ा आपस की हर लो मिल जुल कर एक दूजे को अब तो…

  • अनेकता में एकता

    अनेकता में एकता

    अनेकता में एकता, हिन्द की विशेषता, यही तो भारत वर्ष है.याद करो इतिहास का पन्ना, कर्मवती ने गुहारा था, हुमायूँ ने सेना लेकर बहन की राखी का कर्ज उबारा था.मोहन को भजते है रसखान, रहीम को है भारतीय संस्कृति का भान.अब्दुल हमीद भी था रक्षक, बम जो घट गयी किया आत्मोत्सर्ग.हम दूर क्यों जाते है भाई,…

  • ये कैसा आलम है

    ये कैसा आलम है

    आज इस कोरोना के संकट में लोग साम्प्रदायिकता फैलाकर, जातिवाद और धर्मवाद के नाम लोगों को लड़वाना चाहते हैं, उससे लोगों को सावधान करती एक नज़्म- ये कैसा आलम है, यह क्या हो रहा है। जिंदा आदमी, एक बुत को रो रहा है। तुम्हीं ने बनाई हैं मूर्तियाँ, और की बुत परस्ती भी। ये कैसा इन्सान है, लहू…

  • लॉकडाउन की दूरियां

    लॉकडाउन की दूरियां

    कि जब ये लोक डाउन ख़त्म हो जाएगा तो मैं तुम्हें कहीं दूर लेकर जाना चाहता हुँ।यह फासले जो हमारे दरमियां आ गए हैं, उन्हें मिटाना चाहता हूँ।। तुम्हारी आंखों में देख कर फिर से एक बार डूब जाना चाहता हूँ।मेरे दिल में कुछ जज्बात छिपे हैं, जो तुम्हें बताना चाहता हूँ।। मैं अपनी जिंदगी…

  • कोरोना का करो ना तुम फैलाव

    कोरोना का करो ना तुम फैलाव

    कोरोना वायरस का करो ना तुम फैलावनफ़रत का ना जलाओ तुम अलाव माना कि गहन अधंकार है हर फलक परआज भारत मां रो रही है बिलख कर नवचेतना का संचार कर जला आशा का पुंजहठधर्मिता छोड़ कर हरित कर दे यह कुंज अमर्ष को तज कर मानवता पर ना कर तू प्रहाररह घर में ना…

  • महामारी कोरोना

    महामारी कोरोना

    इसका न वैक्सीन है न दवाई है,धरती पर ये कैसी बीमारी आई है। विश्व की महाशक्तियों को भी इसने,पलक झपकते खासा धूल चटाई है। इस अदृश्य खूंखार विषाणु के आगे,परमाणु बमों ने भी पटखनी खाई है। ना मिलो इक दूसरे से कुछ दिनों तक,इसको केवल मारेगी तनहाई है। जिसने इसको लिया हल्के में अगर,वही जानता…

  • कोरोना वायरस बनाम इंसानी वायरस

    कोरोना वायरस बनाम इंसानी वायरस

    मैं कोरोना हूँ, बेशक थोड़ा डरावना हूँ विष लिए फिरता हूँ अपना कर्त्तव्य करता हूँ मैं एक सा रहता हूँ रूप नहीं बदलता रंग नहीं बदलता तुम इंसान हो, बेशक अद्भुत हो ज्ञान का भंडार हो मगर अब तुम्हें पहचानना मुश्किल है तुम इंसान हो या हैवान हो? बेशक मैं कोरोना हूँ थोड़ा डरावना दिखता…

  • वाह रे, कोरोना

    वाह रे, कोरोना

    वाह रे, कोरोना। तूने तो गजब कर डाला, छोटी सोच और अहंकार को, तूने चूर-चूर कर डाला।। वाह रे, कोरोना। पैसो से खरीदने चले थे दुनिया, ऐसे नामचीन पड़े है होम आईसोलोशन में, तूने तो पैसो को भी, धूल-धूल कर डाला।। वाह रे, कोरोना। धुँ-धुँ कर चलते दिन रात साधन, लोगों की चलती भागमभाग वाली…

  • कोरोना से दुनिया परेशान

    कोरोना से दुनिया परेशान

    कोरोना के कहर से पूरी दुनिया परेशान हैं ! भांति भांति के लोग दे रहे अपना ज्ञान है !! इस धरती पर आई है ये कैसी बीमारी ! मानव सभ्यता पर ये संकट है अति भारी !! संकट के इस समय मे सब की जिम्मेदारी ! समस्त विश्व पर देखो कोरोना पड़ी भारी !! प्रधान…

  • हम न करें नज़रअंदाज़

    हम न करें नज़रअंदाज़

    वैश्विक मचा हुआ है त्राहिमाम मानसिक रूप से न है आराम फिर भी कुछ लोगों को आ रही ख़ूब हँसी जबकि इस भंयकर बीमारी ने कितने परिवारों की छीनी है ख़ुशी कुछ लोग मज़ाक कर रहे हैं पर नहीं समझ पा रहे इसकी भयावहता कई हजारों को लील चुका है ठप्प हुई जीवन की रफ़्तार…

  • हमारे घर नही होते

    हमारे घर नही होते

    उनकी मेहनत के बिना ये उन्नत शहर नहीं होते, वो नहीं बनाते पसीने से तो हमारे घर नहीं होते। वो आज सड़कों पर दर- दर भटक रहे हैं यहाँ बहुत दुःखद है मगर सच है उनके घर नहीं होते। भौतिकता की चाह में हम न खेलते नटी से तो ये कोरोना या अन्य विपदाओं के…

  • इक दिन हार जाएगी ये बीमारी

    इक दिन हार जाएगी ये बीमारी

    इक दिन हार जाएगी ये बीमारी हवाओं का ये डर अब नहीं रहेगा। खौफ का असर कुछ दिन और हैं शहर सहमा हुआ अब नहीं रहेगा। हक़ीक़त जान जाएगा बीमारी की हर इंसान बेख़बर अब नहीं रहेगा। बंदिशें जल्द खत्म होगी हमारी असामाजिक मानव अब नहीं रहेगा। पुराने असूलों पे लौट आना ही होगा आकाश…

  • गाँव की याद

    गाँव की याद

    छोड़ वे गांव की गलियां शहर निकल गये खौफ से भरे शहर उन्हे निगल गये विस्तार नही जीवन का जो कहते थे कल फिर याद आयी अम्मा कि रोटी, कच्ची सड़के, कच्चे घर, बरगद कि छाव, आम के पेड़ तरस रहे गांव आने को वे सब आज‍-कल। ~ प्रिंस 

  • कोरोना का आपातकाल

    कोरोना का आपातकाल

    घंटियां ख़तरे की बज रहीं। योजनाएं हैंगरों में हैं टंगी। आपदाएं भूख की हैं जगी। मातम की अर्थियां सज रही। चल दिए ओढ़ चादर बेबसी की। गालियां दो और रोटी जग हंसी की। कुर्सियां हमको तज रही हैं। ~ अनिल अयान

  • कैसा ये वक़्त

    कैसा ये वक़्त

    कैसा ये अब वक्त आया है इंसान से इंसान घबराया है। स्वास्थ्य एक अनमोल ख़ज़ाना पर लापरवाही को आजमाया है। सेवा में जो लोग लगे दिन रात उनका बलिदान समझ न पाया हैं। अगर अभी भी समझ ना पाए हो सकता कल को पड़े पछताना, जोखिम में जान पर सेवा करते फ़र्ज़ एवं सहयोग काम…

  • कब आएगा राशन पानी

    कब आएगा राशन पानी

    घर का चूल्हा बहुत उदास रह रह पूछे एक सवाल। कब आएगा राशन पानी कब आएंगे चावल दाल।। घर की अम्मा समझाती है, सो जा भोले कल आयेंगे। जागेगी सरकारें एक दिन, खाने वाले पल आयेंगे।। लेकिन सुबह शाम हो बीती, नहीं कोई चिठ्ठी खबर मजाल। कब आयेगा राशन पानी कब आयेंगें चावल दाल।। कोरोना…

  • मानवता

    मानवता

    कोरोना महामारी से इंसान सकुचाया है।हर जगह भय का साया है।क्रूर, निर्दय ह्रदय भी सहज हुआ है।अपने मन का अहम भी भगाया है।अपनी सोच का दायरा भी बढ़ाया है।इस कहर में भी अपना हाथ बढ़ाया है।अपनी लालसा को सिमेटकरनिर्बल, गरीब का सहायक बना है।प्रकृति भी देख मुस्करा गई।यही इंसान की सच्ची मानवता है।जो संकट में…

  • वे लौट रहे हैं

    वे लौट रहे हैं

    वे लौट रहे है उम्मीदों का शहर छोड़कर आंखों के दरिया का रुख़ मोड़कर। रूखा ही सही, भुखा नहीं है कोई गाँव में शहरों ने तो छाले दिये है पाँव में। जिन घरों में कमरा अलग से हो सग का उनसे भी नहीं संभला बोझ मामूली से बैग का। जिसने एक-एक ईंट लगाई ऊंची इमारत…