मैं उसे शिद्दत से लिखता हूँ

मैं आज भी उसे हाँ! सिर्फ उसे हीबड़ी शिद्दत से लिखता हूँ। पूछा था किसी ने एक बार हँसकर मुझसेकि उसे पाने के बाद तो नहीं लिखोगे तुम?जब हो जाएगी तुम्हारी तलाश पूरीआस पूरी, उसमें होकर मुकम्मलफिर तो नहीं लिखोगे…

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५ लघुकथाएँ

~ डॉ शशिवल्लभ शर्मा आत्मनिर्भर  बड़े गाँव के बड़े मुखिया साहब वर्षों से अपनी खुशहाल जिंदगी जी रहे थे, घर द्वार सब भंडार भरे थे, गांव के सभी किसान, नौकरपेशा, मजदूर किसी को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं थी।…

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