भारत माँ के सपूत
हंदवाड़ा शहीदी को नमन करती एक कविता। कौन कहता है बेटे विदा नहीं होते है जब तिरंगे में लिपटा उनका देह आया होगा। उन सपूत की माँ का दर्द भला कौन समझ पाया होगा। कोई मोल नहीं लगा सकता उनके…
हंदवाड़ा शहीदी को नमन करती एक कविता। कौन कहता है बेटे विदा नहीं होते है जब तिरंगे में लिपटा उनका देह आया होगा। उन सपूत की माँ का दर्द भला कौन समझ पाया होगा। कोई मोल नहीं लगा सकता उनके…
हंदवाड़ा, जम्मू कश्मीर में पाँच शहीदों की शहादत पर एक कविता। बुझे आग को फिर सुलगायें। जो माता को शीश चढ़ायें। उनपें हम नत मस्तक हो जायें। भारत माँ के सच्चे लाल। देश की जो रक्षा में अपने जीवन का…
हंदवाड़ा, जम्मू कश्मीर में हुई वीर सपूतों की शहीदी को नमन करती मेरी छोटी सी कविता। ऋणी रहेगा देश तुम्हारा, कर गये ऐसा पावन काम। बलिदानों की इस वेदी पर, क़ुर्बान किये अपनी पहचान। भूल जाए आम जन तो क्या,…
हंदवाडा के शहीदो को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि। शहीदों की मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा। जयहिंद, जय भारत हाँ वो सेना का जवान है, फक्र है उसपे,अभिमान है। दो माँओं का दर्द…