मातृदिवस पर कलमकारों की रचनाएँ

1. मां- जीवन का सार ~ प्रियंका पांडेय त्रिपाठी मां तुम हो सागर,मैं नदियां की धार।तुम बिन मेरा नही हो सकता उद्घार।।तुमने हंसना बोलना,चलना सिखाया।धीरज धैर्य सच्चाई की राह दिखाया।।तुम प्रथम गुरु,नेकी का पाठ पढ़ाया।तुमने जीवन का हमें सार समझाया।।जब…

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ममता तो माँ की पूंजी है

1. बिन कहे हर बात समझती~ कमल राठौर साहिल आज भी वो आखरी शब्दमेरे कानों में गूँजते हैजब उखड़ती साँसों सेमेरी माँ ने कहामें जीना चाहती हु !में मरना नही चाहती!आज भी मुझे याद हैथरथराते हाथों से जबमेरी माँ ने…

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माँ से रिश्ता है अनूठा

1. बिन कहे हर बात समझती~ सुहानी राय बिन कहे हर बात समझतीजीवन में रंग भर जाती माँ!दर्शाती है रोष कभी तोकभी अनुराग लुटाती माँ!आषाढ़ की तपती दोपहरी में,शीतल छांव बन जाती माँ!बंजर वसुधा के ऊपर भी,मेघ फुहार बरसाती माँ!डूबते…

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