अगर मुस्कान तुम दे दो

सिक्के के दो पहलू होते हैं- यह तो हम सभी जानते हैं, इसी प्रकार हमें भी पूर्ण होने के लिए किसी और की जरूरत होती है। एक दूसरे का पूरक बनने से हम परिपूर्ण हो पाते हैं। कलमकार विजय कनौजिया…

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