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  • वही आकर रुलाता है

    वही आकर रुलाता है

    मात्र कहने के लिए हम बोल सकते हैं कि उसे भूला दिया है, किंतु किसी को भूला पाना असंभव है। गैरों को तो हम याद भी नहीं करते जबकि वे हमें कोई भी तकलीफ नहीं पहुंचाते हैं, हमें रूलाने वाले अपने ही होते हैं जिन्हे चाहकर भी भुलाया नहीं जा सकता है। कलमकार विजय कनौजिया…