हे राम! अब तो लो अवतार

घनघोर अज्ञानता के अंधेरे में डूबा है संसार छल कपट भरा सबके मन में भूल गए प्यार क्यों ना आए बताओ जलजला प्रकृति में जब जी रहा हर इंसान अपने ही स्वार्थी में अपने मन को खुश करने के लिए…

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