फिक्र तो तुम्हे करने की जरूरत है मनुष्य

वबा ने रौंद डाली है खिलखिलाती खुशियों को और बेढ़ब सी पसर गई है मुस्कुराती दुनिया ख़लक को बनाने वाले को क्या है मंज़ूर? किसी को आसमां भर दिया है किसी को फलक भर भी नहीं कोई हंसी के यथार्थ…

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