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कोरोना की मार से
सिसक रहे हैं सपनें सबकेआज के हालात सेबेबस जीवन हुआ आज हैकोरोना की मार से..।। आज और कल की चिंता मेंव्यथित हुआ मानव जीवनहुए पलायन को बेबस सबबेकारी की मार से..।। पेट और रोटी का रिश्ताअब कैसे निभ पाएगाभरण और पोषण कैसे होबीमारी की मार से..।। मुरझाए चेहरे से अब तोखुशियां सारी दूर हुईंजीवनयापन मुश्किल…