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फ़रिश्ते जमीं पर हैं
ये साजिश है या कि कुदरत का कहर है सांसे थम रहीं सुना कि हवाओं में ज़हर है इस सदी के इंसां ने कुदरत को यूँ छेडा आलम ये कि आदमी बंद घर के अंदर है उसकी भी सोचिए जिसकी बेबसी का सफ़र है भूख है प्यास है और मीलों दूर घर है जिंदगी की…