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  • प्रलय

    प्रलय

    अस्वमेध को राहु ने घेरा सबके मन में संशय का डेरा विचलित है क्यों आज पथिक मन यह दृश्य भयावह घोर अंधेरा असमंजस की कैसी दशा यह कैसा है यह सुप्तावस्था व्याकुलता सबकी व्याकुल होकर कर रही पार अब परम पराकाष्ठा अर्चन विघ्नों का कैसा यह कालखंड प्रतिकूलता प्रतिछन कर रही समन्वय मानो पर गई…