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  • तीन क्षणिकाएं

    तीन क्षणिकाएं

    कलमकार सुधांशु रघुवंशी ने कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत की हैं जो जिंदगी के किसी छोर की सच्चाई बता रही हैं आइए उनके मुक्तक व विचारों को पढ़ें। वियोग की पीड़ा से परिचित नहीं फेंकते बहती नदी में कंकड़ उन्हें भय होता है कहीं ठहर न जाए नदी, सागर प्रतीक्षा कर रहा होगा ।१। वह शब्द जिसका…