आलोक कौशिक की दस रचनाएँ

१) प्रकृति विध्वंसक धुँध से आच्छादितदिख रही सृष्टि सर्वत्रकिंतु होता नहीं मानव सचेतकभी प्रहार से पूर्वत्र सदियों तक रहकर मौनप्रकृति सहती अत्याचारकरके क्षमा अपकर्मों कोमानुष से करती प्यार आता जब भी पराकाष्ठा परमनुज का अभिमानदंडित करती प्रकृति तबअपराध होता दंडमान…

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पिता को समर्पित १० कविताएं

पिता परिवार का मुखिया होता है और बच्चों में संस्कार की नीव रखता है। हमारी परवरिश में पिता का विशेष योगदान होता है। आइए हम हिन्दी कलमकारों द्वारा पिता को समर्पित की गईं कुछ कवितायें पढ़ते हैं। पिता एक बादल…

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पिता के अश्रु

पिता की छत्रछाया में पलकर सभी बढते हैं, पिता अपनी संतान को कोई तकलीफ नहीं होने देता है। कलमकार आलोक कौशिक कहते हैं ऐसे पिता की आँखों में यदि आँसू आ जाते हैं तो वह बहुत दुखद क्षण है। बहने…

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