कविताएं न्याय आज न्याय बहुत मँहगा हो चुका है. यह धनपशुओं और बाहूबलियों का चेला हो चुका है. आज न्याय की बात करना बेमानी है. बेशर्मी और मक्कारी ही आज पूज्य है. कैसा युगधर्म आ चला है, सत्य को जैसे लकवा… 0 Comments April 4, 2020