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  • महामारी के घाव

    महामारी के घाव

    महामारी के घाव को खेल रहे हो बड़े दाव से वो नो आउट पे बॉल मार रहा है और तुम वाहन रूपी गेंद दे रहे हो हुआ लोकडॉउन लगी धारा फिर भी तुम चडा रहे हो पारा कहीं चोराये दूत खड़े कही अस्पतालों में ईश्दूत पड़े वो रब देव तुम्हें दे रहे है मर्ज क्यों…

  • क्या लिखूँ?

    क्या लिखूँ?

    लिखने के लिए विषय की खोज भी आसान काम नहीं है। कलमकार पूजा साव की यह कविता इस दुविधापूर्ण कार्य के चयन का संबोधन करती है। अपनी कलम से लिखे शब्दों से लोगों के हृदय तक पहुँच जाना ही किसी पुरस्कार से कम नहीं है। कभी-कभी सोचा करती हूँ, एकान्त में बैठकर क्या लिखा जाय…