कुछ ऐसा ही होने “लगा” है इन दिनों, सारा समाज मानो “जगा” है इन दिनों!” कब से था जो ख़्याल क़ैद इस दिल में, राख़ से उठ फिर से “सुलग़ा” है इन दिनों! महामारी से जंग करने की खातिर, सब पर कर्फ़्यू हर “जगह” है इन दिनों! ख़ुद की साफ सफाई का रखो ख़्याल, बहकावे…