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तू जो मिल के भी न मिला मुझे
तू जो मिल के भी, न मिला मुझे, इस सब्र का, क्या हिसाब दूं? तेरी हिचकियों का सवाल मैं, मेरी सिसकियों का जवाब तूं । तू जो कह सका, ना समझ सका, उस जख्म का, क्या गिला करूं। तू जो मिल के भी, न मिला मुझे … तेरी बज्म का हूं मलाल मैं मेरी नज़्म का है…