मां की याद शब-ए-बारात के दिन
बचपन के वो दिन याद है, जब पूरे साल भर में एक बार हलुआ खाने को पाते थे। वो दिन शबे बारात का होता था। रिवायतों के नाते घरों में चना और सूजी का हलवा बनता था और आज भी…
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April 10, 2020
बचपन के वो दिन याद है, जब पूरे साल भर में एक बार हलुआ खाने को पाते थे। वो दिन शबे बारात का होता था। रिवायतों के नाते घरों में चना और सूजी का हलवा बनता था और आज भी…