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  • ये कैसा आलम है

    ये कैसा आलम है

    आज इस कोरोना के संकट में लोग साम्प्रदायिकता फैलाकर, जातिवाद और धर्मवाद के नाम लोगों को लड़वाना चाहते हैं, उससे लोगों को सावधान करती एक नज़्म- ये कैसा आलम है, यह क्या हो रहा है। जिंदा आदमी, एक बुत को रो रहा है। तुम्हीं ने बनाई हैं मूर्तियाँ, और की बुत परस्ती भी। ये कैसा इन्सान है, लहू…