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अजय प्रसाद जी की चंद पंक्तियाँ प्रस्तुत है जो मन की बात कह डालने पर जोर दे रहीं हैं। सुननेवाले का जबाब पाने के बाद और भी कुछ इजहार करने का मन करता है। भरी दुपहरी को चांदनी रात कह दूँ कदमों में तेरे मैं पूरी कायनात रख दूँ। फ़िर मत कहना कि मैंने बताया…