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माँ! तू है कहाँ?
कलमकार सुजीत कुमार कुशवाहा माँ की याद अपनी कविता में लिखते हैं। माँ का साथ यदि छूट जाता है तो हम ममता की छत्रछाया से वंचित रह जाते हैं। आती, पर मिल सकता नहीं। लौट आओ ना माँ, याद जाता नहीं। स्वर्ग में तू तो छुपी ही नहीं। गांव आऊं तो तू मिलती ही नहीं।…