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  • हो जाता है

    हो जाता है

    कलमकार हिमांशु शर्मा जी ने अपनी एक ग़ज़ल प्रस्तुत की है, पढ़कर आप अपनी राय बताएं। सज़दा मांगो तो मिलता नहीं है, बल्कि सज़दा हो जाता है, दीदार मांगो तो मिलता नहीं है, दीदार रब दा हो जाता है। यूँ तो रुस्वाइयाँ भी होती है हमसे, राज़ी भी हमसे होते हैं, धोख़ा भी हम खाते…