आकर्षण

कभी-कभी आकर्षण को हम प्यार समझने की गलती कर लेते हैं जबकि सत्य कुछ और ही होता है। कलमकार अनिरुद्ध तिवारी आकर्षण के मुद्दे पर चंद पंक्तियाँ इस कविता में प्रस्तुत की हैं। तुम्हारी नजरों की गुस्ताखियां आज उलझे एहसासों…

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