सुबह हुई तो निकले घर से, शाम हुई तो लौटे घर, घर में रहकर घरवालों को भूल गया, ब्यस्त हुए सब, मस्त हुए सब, घर को, गैराजों में बदल दिया, बेड़ रोए, टीवी रोए, रोए घर का हर कोना, पूछ रहा है कोना-कोना, क्यों मुझको तुम भूल गए थे? “कोविड” ने फिर रहना सिखाया, बाते…