Tag: SWARACHIT631A

  • कुछ वक़्त अब

    कुछ वक़्त अब

    कुछ वक़्त अब तो ठहर घर में आख़िर क्या है, जान से बढ़कर और इस दुनिया में रखा क्या है, जिन बन्द पेटियों में तुम शराब लाते थे, हां वही है जो अब उनमें लाश आ रहे हैं, महज़ खेल तेरा ही महंगा था, बाकी दुनिया में सबकुछ तो सस्ता था, क्यों शौक ऐसे पाले…