गीत गा न सकी

कलमकार राहुल प्रजापति की एक चंद पंक्तियाँ पढें - मौन थी ये हवा गुनगुना न सकी गीत कलियों बहारों के गा न सकी जब तलक थी जरूरत रही पास वो ग़म में मुझको गले से लगा न सकी उसने भी…

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