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हरा भरा हो वसुधा का घर द्वार
आओ जिन्दगी बदल डालें अपनी भी सरकार प्रकृति के आगे हम सब है लाचार किसी को ताजमहल तो किसी को कर्फ़्यू पास मिला उपहार हम भी आना चाहते हैं तेरे आगोश में अब हमें तो मत नकार॥ लगने लगी है अन्न जल के सिवाय ये बाकि दिखावटी दुनिया बेकार अन्न मिले कपड़ा मिले तन को…