धरा की अनंत पीड़ा

विश्व धरा ने युगों-युगों से, अनंत पीड़ा सही। जीवन दिया, पोषण किया। पालक होकर भी, पतित रही। अपनी ही संतानों का, संताप हर, अनंत संताप सहती रही। विश्व धरा ने युगों-युगों से, अनंत पीड़ा सही। स्वर्णनित उपजाऊ शक्ति देकर, भूख…

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