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पृथ्वी का करो संरक्षण
जिसे बचाने लिए नारायण वराह अवतार। उसी धरा को कर रहे क्षत-विक्षत चहुंओर।। अनंतानंत ब्रह्मांड में न है धरा यही उपयोगी। उपभोग करो संरक्षण करो न बनो ऐसे भोगी।। हर पल हिमखंड पिघल रहे खतरे में है पृथ्वी। सावधान हो जाओ अब भी है ये धरा सबकी।। विषैला हो गया नीर विषैली धरा की ये…