हम किसान के बेटे हैं

जहाँ जाति धर्म की क्यारी में, उगती हों मानवता की फ़सलें,जहां झूठ फरेबो से ऊपर, अनुशासन की बेलें निकलें।कुल की मर्यादा की ख़ातिर, चौदह वर्षों तक बनवास सहे,जहां कुल देवों को रिझाने को, दिन-दिन भर उपवास रहें।हम उस भारत के…

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