धरती

सहनशीलता और धैर्य की विस्तृत है जो मूर्ति।अपने ही अणु-अणु, कण-कण से देती है स्फूर्ति।।हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब को एक सा प्यार।काला, गोरा, ऊंच-नीच सबसे सम व्यवहार।।हर पल कितने चोट सहती पर रखती ना कोई बैर।टुकड़ों में बांटी गई…

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