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  • धरती है कहती

    धरती है कहती

    धरती अब यूँ है कहतीदुखी हो सब को बतातीदेख लो अन्य ग्रहोँ तुम सब भी कितना स्वार्थी है ये मानवमैंने ही इनको जीवन दियासदियों तक अंगार रहीफिर सदियों बाद जीवन अनुकूल बनी हर तरह से जीने का आधार बनी पर इन्हे नहीं रही कदर मेरी भूल गए ये मेरे उपकारहर तरफ प्रदुषण अपार गढ्ढे करके…