प्रकृति का दोहन

धरती माता अब करती है करुण पुकार।मतलबी मानव ने इस पर किया अत्याचार।। जिस माँ ने दिये हमें इतने अनमोल उपहार।निज स्वार्थ में उसी पर हमने चलाई कटार।। ईश्वर ने अनुपम कृति मनुज को बनाया।इसी मनुज ने प्रकृति का चीरहरण…

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