पावन धरती

हे सुचित, पुलकित, हर्षित, मनभावन व पावन धरती।"मां" तुम ही सबके दु:ख दर्द को समय समय पे हरती।।सबके घर-द्वारे, अन्न-धन के, तुम ही भण्डार हो भरती।कृषक के कर्म की कल्पना को, तुम ही साकार हो करती।।गगन तुमसे, अग्नि तुमसे, है…

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