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मेरी किताबें
किताबों पर मैं जाऊं वारी-वारी इसकी पंक्ति-पंक्ति जैसे हो कोई मेरी सवारी जिस पर बैठ मने घूमी दुनिया सारी किताबों ने मेरी जिंदगी संवारी इसके शब्दों की लीला है, न्यारी। इसमें होकर सवार कभी मैं घूमी दुनिया पुरानी तो मने बुद्धा की लुम्बनी जानी चाणक्य की नीति पहचानी एकलव्य की सुनी कहानी किताबों में हैं…