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    भ्रष्टाचार की दुनिया

    कलमकार विमल कुमार वर्मा ने भ्रष्टाचार पर अपने विचार इस कविता में व्यक्त किए हैं। भ्रष्टाचार एक बीमारी की तरह सबको ग्रसित करता है और यह कदापि हितकारी नहीं होता है। अरे! यहां क्या देखते हो, जरा वहां भी तो देख, इस भ्रष्टाचार की दुनिया मे कौन-किसका है, ये तो देख। सब दिखावा है अपनो…