खामोशी की चादर में लिपटा शहर

कलमकार महेश राठोर शहर के हालात का जिक्र कर रहे हैं, उन्होंने अपना अनुभव इस कविता में साझा किया है। इंसानो तुमने घोला है इन हवाओं में ज़हरखामोशी की चादर में लिपटा है सारा शहर,सुनसान सी हर गली सुनसान सा…

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