अब रुक जाओ, हे! इन्द्र प्रभु

दुनिया लूट रही कृषकों को अब और ना लूटो आप प्रभु देश ये चलता कृषियों से है अब रुक जाओ हे इन्द्र प्रभु। फसल कट रही खेतों में है हर अन्न में बसती जान प्रभु अभी ना बरसों गर्जन करके…

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