ये राहें

हम अपने रास्ते खुद ही चुनते हैं जिसपर चलते चलते कभी कभी अपनी मंजिल पा जाते हैं तो कभी बड़ी उलझनों में घिर जाते हैं। कलमकर मुकेश बिस्सा इन राहों के बारे में अपनी कविता में भी बता रहें हैं।…

0 Comments