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क्या करूंगा मैं?
हमारा मन कभी-कभी थक हारकर कई बातें सोचने लगता है। कलमकार हिमांशु बड़ोनी उन बातों और मन के सवालों का जिक्र इस कविता में किया है। वे लिखते हैं कि एसी परिस्थितियों में क्या करूंगा मैं? क्या करूंगा मैं?इस स्वार्थी समाज से जुड़कर क्या करूंगा?आगे बढूंगा तो पीछे मुड़कर क्या करूंगा?जब कुतरे जाने हों मेरे नन्हे…