मेरे अंतस

हमारे तुम्हारे मन में न जाने कितनी यादें, कल्पनाएँ और इरादे भरे पड़े हैं। कलमकार नमिता प्रकाश ने इस कविता में इसी संदर्भ में अपने भाव प्रकट किए हैं। तेरे अन्तसमेरे अन्तस,कुछ औंर नहीकेवल छवि है।जो गुजरे वो दिन सुनहरे,उज्जवल…

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