एक शख़्स

कलमकार स्वयं को नादान कलम कहते हैं। इस कविता में वे वादियाँ, बर्फ़ का पानी और नादान कलम की कहानी लिख रख रहे हैं। वो पूछती थी मैं बताता था जिन्दगी को दर्द जिन्दगी के सुनाता था। वो मुस्कुराती थी मंद…

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