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  • जाती है अब जान

    जाती है अब जान

    मोहब्बत कभी-कभी दर्द भी दिया करती है, इसलिए संभल कर दिल लगाएँ। कलमकार आलोक कौशिक की एक गजल पढें। हुई भूल जो समझा उन्हें शाइस्ता जाती है अब जान आहिस्ता-आहिस्ता करना ना मोहब्बत कभी बेक़दरों से ऐ दिलवालों तुझे वफ़ा का है वास्ता मंज़िल तो मिलती नहीं ऐसे राही को तक़लीफ़ों में ही गुज़रता है…