हर ओर एक अजब सन्नाटा है

भोर से साँझ तक औरसाँझ से रात तक भोर तकहर पल अब यूँ है लगताजिंदगी ही एक रहस्य हो जैसेपेड़ों पे गौरैइया, दिन में भी चुप हैंलगता है एकदम बौउरा गये हैंऔर ये गली के कुत्तेरात के सन्नाटे में भी…

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