चाह में शाम-ओ-सहर

इरफान आब्दी मांटवी गाजीपुरी की एक गजल पढ़ते हैं और उनकी कलम के भावों पर अपनी प्रतिक्रिया दें। उजलतों में उस ने हम से कह दिया बे-फ़िक्र हूँ पर हमारी चाह में शाम-ओ-सहर रोते रहे अश्क मेरी ख़ैरियत लेने की…

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