कब प्यार करोगे तुम?

कलमकार महेश माँझी की एक रचना पढें- आज है जो कल न हो कब प्यार करोगे तुम। नजरो से मिला के नजरें कब इज़हार करोगे तुम। आकर के देखो तुम शीश महल बनाया है। दिल के हर दरवाज़े खोले स्वासो…

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