Tag: TenPoems
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राम प्रताप वर्मा की कविताएं
१) इच्छाएं इच्छाएं अनंत हैं,एक पूरी होती हैं तो,दूसरी जन्म लेती हैंयह सिलसिला चलता रहता है,जीवन भर, जो हमें प्रेरित करती हैं,सब कुछ पा लेने कोइसी पा लेनी की मृगमरीचिका के पीछे,हम दौड़ते रहते हैं,कभी अपने लिए, कभी अपने बच्चों के लिए,और कभी अपने बच्चों के बच्चों के लिएऔर एक दिनहम, चले जाते हैं,हमेशा-हमेशा के…
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मातृदिवस पर कलमकारों की रचनाएँ
1. मां- जीवन का सार ~ प्रियंका पांडेय त्रिपाठी मां तुम हो सागर,मैं नदियां की धार।तुम बिन मेरा नही हो सकता उद्घार।। तुमने हंसना बोलना,चलना सिखाया।धीरज धैर्य सच्चाई की राह दिखाया।। तुम प्रथम गुरु,नेकी का पाठ पढ़ाया।तुमने जीवन का हमें सार समझाया।। जब जब कदम लड़खड़ाए, तुमने उंगली थाम लिया।डांटा,प्यार से सही गलत का मतलब…
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ममता तो माँ की पूंजी है
1. बिन कहे हर बात समझती~ कमल राठौर साहिल आज भी वो आखरी शब्दमेरे कानों में गूँजते हैजब उखड़ती साँसों सेमेरी माँ ने कहामें जीना चाहती हु !में मरना नही चाहती! आज भी मुझे याद हैथरथराते हाथों से जबमेरी माँ ने मेरे सिर परआखरी बार हाथ फेराओर कुछ पलों बाद हीकाल ने मेरी माँ की…
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माँ से रिश्ता है अनूठा
1. बिन कहे हर बात समझती~ सुहानी राय बिन कहे हर बात समझतीजीवन में रंग भर जाती माँ!दर्शाती है रोष कभी तोकभी अनुराग लुटाती माँ!आषाढ़ की तपती दोपहरी में,शीतल छांव बन जाती माँ!बंजर वसुधा के ऊपर भी,मेघ फुहार बरसाती माँ!डूबते हुए सागर में भी,आशा की पतवार बन जाती माँ!सारी दुनिया से लड़कर,हालातों को बदल देती…
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ऋतुराज बसंत का आगमन
ऋतु ये वसंत आई ऋतु ये वसंत आई फूलों की बहार लाईमन में सुमन खिल रहे हैं दिन रात मेंयौवन पे ये निखार करके सौलह श्रृंगारइठलाती जा रही हो बात बिना बात में। जुल्फें ये झूम झूम गालों को रही है चूमत्रबिध समीर बहे रात में प्रभात मेंप्रिये की कसम तोड़ फूलों की ये सेज…
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दस लोकप्रिय कविताएं- २०२०
हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज पर पाठकों ने साल २०२० में इन दस कविताओं को बहुत पसंद किया। आप भी पढ़ें औए अपनी राय बताएं। १) वो दिन यूँ तो अक्सर यादों की बरसात होती है,गुजरे लम्हों में बीते पलों की एहसास होती। वो पहला दिन आँसूओं की बरसात हुई थी,नये माहौल में थोड़ी…
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नववर्ष २०२१ के लिए नियमित कलमकारों की कविताएं
१. नया साल सबको मुबारक रहे ~ डॉ आनन्द किशोर ये नया साल सबको मुबारक रहेहर ख़ुशी ज़िन्दगी में बिना शक़ रहे और मुक़म्मल मिले दिल को चैनो-सुकूँजल्दबाज़ी न कोई भी धकधक रहे सब गले मिल के आपस में बातें करेंदूर शिकवे-गिले हों जो अब तक रहे नफ़रतों की जगह दिल में बाक़ी न होप्यार…
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नए साल का शुभारंभ
१. नया साल, नई उम्मीद ~ राजीव डोगरा नया सालनई उम्मीद लेकर आया है।छोड़ चुके हैं जोउनका हिसाब लेने आया है।नया साल मां रणचंडी कोसाथ लाया है,उठाए खड्ग खप्परशत्रु का संहार करने आये है।बीते हुए वक्त मेंजो बन गए थे परायेफिर से उनकोअपना बनाने आया है।नया साल नई उम्मीदनव उमंग नवीन उत्साहसाथ लेकर आया है।नया…
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वर्ष 2021- स्वागत है
१. नया वर्ष और हमारा संकल्प ~ इरफ़ान आब्दी मांटवी समझ में ये नहीं आताजो पिछला वर्ष गुज़रा हैबधाई इसकी भी दी थीमगर अफसोस होता हैकभी ये भी नया वर्ष थापरेशानी परेशां थीदुखों की आप बीती थीसड़क सुनसान दिखती थीचमन बेज़ार रहता थासभी अफसोस के मारेभिगाए नैन रहते थेचलो जो होगया छोड़ोसबक इस साल से…
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स्त्रियों को संबोधित करती कविताएं
नारी नारी को नारी रहने दोवो भी एक इंसान हैैसुख दुख के भावों से बनताउसका भी संसार हैदेवी का प्रतिरूप बनाकरलज्जा का अंबर न लपेटोपौरूषता के झूठे दंभ मेंना उसकी कोई सीमा बनाओउङती है तो पंख न कतरोबस थोङा सा अर्श बनाओकर सकते हो तो इतना कर दो,नारी को नारी रहने दोदे दो उसको थोङा…
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आलोक कौशिक की दस रचनाएँ
१) प्रकृति विध्वंसक धुँध से आच्छादितदिख रही सृष्टि सर्वत्रकिंतु होता नहीं मानव सचेतकभी प्रहार से पूर्वत्र सदियों तक रहकर मौनप्रकृति सहती अत्याचारकरके क्षमा अपकर्मों कोमानुष से करती प्यार आता जब भी पराकाष्ठा परमनुज का अभिमानदंडित करती प्रकृति तबअपराध होता दंडमान पशु व पादप को धरा परदेना ही होगा उनका स्थानकरके भक्षण जीवों कानहीं होता मनुष्य…
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भारत की महान विभूतियों के सम्मान में स्नेहा धनोदकर रचित कविताएं
१. अटल बिहारी जी छोड़ गए वो छाप अपनी,हर मानस पटल पर,आज भीं कई ऐसे,जो फ़िदा है अटल पर युग पुरुष भारत के,थे वो भाग्य विधाता,पदम् विभूषण, परम् ज्ञानी,भारत रत्न थे दाता रहे राजनीती कें शीर्ष पर,करवा लिया परमाणु परीक्षण,कारगिल हो या हो विदेश,कहीं ना झुके वो एक क्षण ब्रजभाषा और खड़ी बोली मेँ,करते थे…
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आखिर कब सुधरेंगे हम? कितनी जानें जाएंगी?
पता नहीं माहौल ऐसा क्यों बन चुका है। इंसान में मानसिक विकृतियाँ उसे एक अलग ही रूप में प्रस्तुत कर देती हैं जो एक सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं होता। संकीर्ण मानसिकता के चलते अनेकों बार गंभीर अपराध हो जाते हैं। आज हम सभी को अपने भीतर एक सकारात्मक सोच लानी है जिससे एक आदर्श…
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प्रीति शर्मा ‘असीम’ जी की दस कविताएं
१. ताज के सामने ताज के सामने,छाते में,दुकान सजाए बैठा है। वह एक आम आदमी है।हर किसी के,सपने को खास बनाए बैठा है। ताज के सामने,छाते में दुकान से सजाए बैठा है। तस्वीरें बनाता है ।ताज के साथ सबकी,वह सब की,एक खूबसूरत,यादगार सजाए बैठा है। वाह री कुदरतजिंदगी की हकीकत मौत कब्र में सोई है।जिंदगी…
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डॉ आनन्द किशोर जी की दस कविताएं
१) विदाई वही घरजहां बचपन गुज़राबिटिया काआज सजा हुआ हैआंगन में है गहमागहमीफेरे संपन्न हो चुके हैंफूलों से सजेविवाह-मंड़प में अभी-अभीअश्रुपूरित आंखों से निहारतीकभी घर कोकभी आंगन कोकभी बाबुल कोअपने जीवन-साथी के संगलांघने जा रही हैघर की दहलीज़सधे हुये मन सेसारी रीतियां निभाकरसभी रस्मों को आत्मसात करसभी रिश्तेदार,मात-पिता, बहन और भाईविदा कर रहे हैं उसेडबडबाई…
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राजीव डोगरा ‘विमल’ जी की दस कविताएं
1) नवीन जीवन चलो चलते हैं फिर सेजीवन की तलाश मेंकिस अजनबी शहर कीअनजान राहों पर।चलो फिर से बटोरते हैंउन ख़्वाबों कोजो टूट कर बिखर गए थेकिसी अनजान शख्स कीबिखरी हुई याद में।चलो फिर सेउन दिलों कोधड़कना सिखाते हैं,जो टूट कर बिखर गए थेमरती हुईइंसानियत को देखकर।चलो फिर सेनवीन जीवन कीतलाश करते हुए,मानव मे सच्ची…
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इमरान संभलशाही जी की दस कविताएं
१) उपकार करो या सत्कार करो उपकार करो या सत्कार करोस्नेह मुहब्बत हर बार करो हो जीवन सावन जैसारहो न जग में ऐसा वैसाबारिश की फुहार बन कररिमझिम सी हर बार मरो लहर बनो प्यार के खातिरन मन में हो द्वेष का शातिरमन भेजो न इधर उधरतूफ़ान को खबरदार करो लहज़ा भी बस नरम रहेकड़ुआ…
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हिंदी दिवस पर विशेष कविताएँ
१४ सितंबर २०२० हिन्दी हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा हैं,जो हमें जन्म के साथ सिखाई जाती हैं,ये हिन्द की बिंदी की तरह हैं,हिंदी हमारी भाषा हो कर भीवो हमारी नहीं रही ,ये भी हमारे कश्मीर की,तरह हो गई हैं,जो हमारी हो कर भी,हमारी नहीं रही,वर्तमान में युवाओं ने,अंग्रेजों की अंग्रेज़ी अपनाली,मानो अंग्रेजों ने हड़प ली हैं,जमीं…
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हिंदी दिवस २०२० – दस कविताएँ
१४ सितंबर २०२०: हिन्दी दिवस (हिंदी की विशेष रचनाएँ) हिन्दी यूँ तो दुनिया मेंकई भाषाएं लेकिनरखती सब भाषाओं मेंअलग पहचान है हिन्दीमातृभाषा है राष्ट्र भाषा हैहिन्द है हिन्दुस्तान है हिन्दीआधार हर एक भाषाओं कीसब भाषाओं की जान हिन्दी हिन्दी सिर्फ़ एकभाषा मात्र भर नहींसिर्फ़ अभिव्यक्ति नहींएक सभ्यता हैएक समुदाय है हिन्दीसंस्कृत से जन्मी संस्कृति हैअनूठी…
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हिंदी भाषा और बोली
१४ सितंबर २०२०: हिन्दी दिवस (हिंदी की विशेष रचनाएँ) शिक्षा के क्षेत्र में हिन्दी का महत्व हिन्दी दिवस का सम्मान करो,यह है हमारी राजभाषाहिन्दी बोलने में गर्व महसूस करो,मत महसूस करो अपमान भरी निराशा। हिन्दी दिवस है ऐसा दिवस,जिसे बहुत उत्साह से उस दिन मनाते हैंकिन्तु दूसरे दिन से वही लोग अंग्रेज़ी को सराहते हैं।१४…